संपादक - पंखुरी सिन्हा, सह संपादन और ब्लॉग निर्माता- तरुण कु.सोनी "तन्वीर"

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Friday 5 September 2014

सम्पादकीय

सम्पादकीय

यह ग्लोबल दर्शन का पहला अंक है, सर्वप्रथम। आशा है कि इस ब्लॉग के साथ हम आपके मन आँगन पर एक ऐसी दस्तक देंगे कि उसके कुछ नए द्वार खोलने में कामयाब रहेंगे। मुझसे जब पवन जी ने कहा कि मैं आगमन ग्रुप की एक ऐसी पत्रिका का संपादन शुरू करूँ, जो पूर्णतः विदेश में, हिंदी में रचे जा रहे साहित्य को समर्पित हो, तो मुझे बहुत बड़े पारितोषिक के मिलने का एहसास हुआ था. मेरी उनसे ये बात तभी हुई,  जब मैं कनाडा में थी. लेकिन अब पवन जी इस पत्रिका से नहीं जुड़े हैं. मुझे ब्लॉगिंग बिलकुल नहीं आती. और मैं तरुण सोनी तन्वीर जी को कभी पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे पाऊँगी। उन्होंने जो मेरी मदद की है, वह एक ऐसे प्रोफेशनल कमिटमेंट का परिचायक है, जिससे साहित्य के सभी कामों में आस्था बनती है.

पत्रिका ब्लॉग की शक्ल में होगी, लेकिन बिलकुल खुले विचारों वाली। मैंने इसके स्वरुप को थोड़ा विस्तार दे दिया है. पत्रिका विदेशी पृष्ठभूमि में हिंदी में रचे जा रहे साहित्य को समर्पित होगी. और उस सारे साहित्य को भी, जो देशी पृष्ठभूमि में है, लेकिन जिसके कारक विदेशी हैं. या जहाँ इस किस्म के संवाद हैं.

यात्रा वृत्तांत, कहानी और कविता के साथ साथ, यहाँ लेख और व्यंग्य् की बहुत गहरी सम्भावना है. इन सब विधाओं में हम कल्पना, सूचना और संवाद की ज़मीन पर काफी दूरी तय कर सकते हैं. यूँ भी, आज की दुनिया में आँखों देखा सुना बहुत कुछ रहस्यमय जान पड़ता है. अपने इस आये दिन की ज़िन्दगी के विश्लेषण से उस बहुत बड़े व्यवसाय की खबर लेंगे, जो पत्रकारिता और न्यूज़ मीडिया है.
साहित्य हमारी अपनी भाषा में और अपनी भाषा का, हमारी समूची अस्मिता और इच्छाओं को परिभाषित करता है. इस पत्रिका में हम अपने इर्द गिर्द, और दूर दराज़ की भी दुनिया की खबर लेंगे, हर उस एहसास और सूचना की बेहतर पड़ताल करेंगे, जो हमें दी जा रही हैं, कई बार हम पर लादी जा रही हैं, किसी अंतर्राष्ट्रीय वार्ता अथवा संधि सम्मलेन की अनैतिक शर्तों की तरह.

वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन और वर्ल्ड बैंक जैसी तमाम संस्थाओं में हमारी आवाज़ बुलंद हो, और हम अपनी आवाज़ को बखूबी पहचानें, इस मंगल कामना के साथ आप सबको स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। स्वतंत्रता दिवस क्योंकि विभाजन का भी समय था, जिसके परिणामों से हम अभी तक नहीं उबर पाए, इस अंक की विशेष प्रस्तुती है, पाकिस्तानी सरहद के करीब लिखी गयी श्री मनोहर गौतम जी की क्षणिकाएँ, जो वहां के आये दिन पेंचीदे होते जीवन का सच दर्शाती हैं.

आप सबके सहयोग के लिए आभारी हूँ. पुष्पा सक्सेना जी को, और उषा राजे सक्सेना जी को सर्वथा अप्रकाशित कहानियों के लिए विशेष धन्यवाद।

पंखुरी सिन्हा
नई दिल्ली
1 सितम्बर 2014

साक्षात्कार


दिल्ली दर्शन: अच्छे दिन और असल विपक्ष -श्री सोमनाथ भारती

इराक़ में दुबारा तेज़ हुई लड़ाई के दौरान, भारतीय नर्सें अगवा हुईं और उच्चस्तरीय अंतर्राष्ट्रीय संवादों के बीच, रिहा होकर अपने घर हिन्दुस्तान लौटीं। ख़बरों में सबसे ज़्यादा मध्यस्तता रही. अपहरण के दौरान वो कहाँ रहीं, किन स्थितियों में रहीं, बल्कि अपहरणकर्ता ठीक ठीक कौन थे, किस गुट, किस दल के आतंकवाद की जड़ें कहाँ, कितनी और कैसे फैली हैं, ये तक नहीं बताया गया आवाम को. लगभग यही हाल लिबिया में घिरने वाली नर्सों का हुआ. अब इबोला पीड़ित देशों से आने वाले भारतीय ख़बरों में हैं. प्रवास और इमीग्रेशन हमारे समय की बहुत बड़ी सच्चाई है, और इससे रूबरू होना हमारा काम.
अंतर राष्ट्रीय स्तर पर हम फक्र करते हैं प्रवासी भारतीय उपलब्धियों पर. इमिग्रेशन की यह प्रक्रिया हमारे हित में बनी रहे, शोषण करे, देश में और बाहर भी, यह देखना सरकार का काम है. इधर नाइजीरियाई लॉटरी स्कैम्स चर्चा में रहे, देश में भी और बाहर भी. दिल्ली में दो नाइजीरियाई स्कैम्स्टर्स पकड़े भी गए और उन्हें सज़ा भी दी गयी. नाइजीरिया में बोको हराम का कहर बरपा, लड़कियों को डॉरमेट्री से उठाने से पहले और उसके बाद भी, गाँव वालों को गोलियों से भूनने की खबरें सभ्य समाज में आती रहीं। सब कुछ ताकत और सत्ता के चक्र सा लगता है, जिसके तहत तीसरी दुनिया के कुछ देशों में युद्ध को इतना स्थायी बना दिया गया है कि जिससे पहली दुनिया एकदम स्वर्ग सी जान पड़ती है.
आम आदमी पार्टी का उदय एक ऐसी पार्टी का उदय था, जो ग़रीबों के हक़ के लिए आवाज़ उठाती भी, ऐसे सरोकारों से सम्बद्ध थी जो मध्य वर्ग के सरोकार हैं. पेट्रोलियम मिनिस्टर वीरप्पा मोइली और प्रख्यात इंडस्ट्रियलिस्ट मुकेश अम्बानी के ख़िलाफ़ दायर एफ आइ आर कुछ उन समस्याओं का निवारण करता दिखाई देता था, जिसके कारण समाज में धनिकों की और धन की एक ऐसी पूजा आरंभ हो गयी है, जो गाँधीवादी सादगी और हक़ों से लड़ने के हौसलों से दूर जाती प्रतीत होती है.
दिल्ली में 28 दिसंबर 2014 को सत्ता में आई आम आदमी सरकार में कानून, कला संस्कृति के मंत्री सोमनाथ भारती द्वारा खिड़की एक्सटेंशन में डाली गयी रेड की खबरें आज भी हमारे मन मष्तिष्क में सजीव हैं. प्रस्तुत है श्री सोमनाथ भारती के साथ एक बातचीत--------

1.       प्र.1 - खिड़की एक्सटेंशन पर डाली गयी रेड को, मीडिया ने बड़े ही ग़लत अंदाज़ में पेश किया, आप बता सकते हैं क्यों और सच्चाई क्या है?

जवाब----मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा बिका हुआ है. मीडिया और राजनेताओं की एक ऐसी मिली भगत है जो बाँटकर खाने में विश्वास करती है. सत्ता की साझेदारी है. सत्ता और उसके साथ उड़ाए जाने वाले गुलछर्रो का यह हाल है कि आप पास जायेंगे तो उबकाई आएगी। शाम होते ही कईओं की दारू की बोतलें खुल जाती हैं. कई लोग खुले आम ड्रग्स करते हैं. उन यूगांडन लड़कियों के साथ, जिनके रहने की जगहों पर हमने रेड डाली, हमने कोई दुर्व्यवहार नहीं किया, हमने उन्हें बचाया।
जैसा कि इन लड़कियों ने बताया और अब सर्वविदित है, इन्हें यूगांडा से नौकरी का आश्वासन देकर दिल्ली लाया गया, और अब इनसे वेश्यावृति करवाई जा रही है जबरन। हमने ऐसी तीन लड़कियों को छुड़ाया, लेकिन धंधा अब भी जारी है. मैं फिर से रेड करूँगा। इनके पड़ोस में नाइजीरियन लड़के ड्रग्स का धंधा कर रहे हैं.

2.     प्र.2-दिल्ली में ड्रग्स का व्यापार हो रहा है. क्या आप बता सकते हैं ये ड्रग्स कहाँ से रहा है?

जवाब ----अफ्रीका से. दुनिया भर में ड्रग्स की तस्करी चल रही है. अकेले हमारी समस्या नहीं है.

3.     प्र.3 - लेकिन दुनिया मानती है कि ड्रग्स के उत्पादन लिए लैटिन अमेरिकी देश कुख्यात हैं?

जवाब ----और जगहों से भी रहा होगा, लेकिन अफ्रीका से तो निश्चित ही रहा है.

4.     प्र.4 - विकिपीडिया के अनुसार आप पर एविडेंस टैंपरिंग के आरोप हैं. क्या आप बता सकते हैं, कि ये क्या आरोप हैं?

जवाब------मैं पवन कुमार नाम के एक व्यक्ति को प्रो बोनो रिप्रेजेंट कर रहा हूँ. उस पर बैंक के एक घपले का आरोप है. कुछ लोगों ने फ़र्ज़ी लेटर ऑफ़ क्रेडिट बनाकर बैंक ऑफ़ मैसूर से पैसे ठगे. वो लोग तो ख़ैर पकड़े गए लेकिन ये बेचारा एक डेस्क ऑफिसर फँसा दिया गया. इसपर मँडराते संकट आलम यह है कि किसी ने इसके घर जाकर, वाटर रिजर्वायर में डुबोकर इसकी 4 साल की बेटी की हत्या कर दी. जब कोर्ट की तारीखें शुरू हुईं, लगातार तीन हियरिंग पर गायब रहा. पूछने पर पता चला कि पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने बताया कि जज ने कहा है कि तुम मत आओ. कैंसलड बेल के साथ वह जेल भेजा गया, महीने भर में किसी तरह मैंने उसे वहां से निकाला। उस प्रॉसिक्यूटर से फ़ोन पर बात को मैंने रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने जज के बारे में ऐसी बातें बतायीं थीं. उससे केवल केस का समूचा रुख बदल सकता था, बल्कि जज को सज़ा हो सकती थी. मेरी बदकिस्मती बस दस मिनट ही रिकॉर्ड हुआ, उतनी ही जगह बची थी, टेप फुल था. मैंने उस रिकार्डेड वीडियो को कोर्ट में पेश किया, और बजाए उस सबूत पर ध्यान देने के, उससे मुक़दमे पर होने वाले असर की बात करने के, कोर्ट ने मुझपर टैंपरिंग विथ एविडेंस का इल्ज़ाम लगा दिया। ये इल्ज़ाम संगीन नहीं, जिससे मुझे बरी होना है, पर बात कितनी संगीन है.

5.     प्र.5- इससे साबित हो गया, कि हिन्दुस्तानी न्यायिक व्यवस्था की हालत ठीक नहीं, बहुत चिंताजनक है. विकिपीडिया में ये भी पढ़ा कि स्पैमहौज के साथ आपने कोर्ट से बाहर एक समझौता किया जिसके तहत आपने उन्हें 5000 डॉलर जुर्माना भरा

जवाब----जी नहीं। मैंने किसी को कोई जुर्माना नहीं भरा. मेरा इंटरनेट से जुड़ा सर्च इंजन का बिज़नेस था. उसका इस्तेमाल हज़ार कम्पनियाँ करती थीं. और अपने बिज़नेस में लिस्टेड होने का सन्देश एक साथ कईयों को भेजती थीं. इसका ये मतलब नहीं कि मैंने स्पैमिंग की. मैं क्यों जुर्माना भरूँगा?

6.     प्र.6 - वर्तमान समय में साइबर वार के बारे में आपके क्या ख़्याल हैं? स्नोडेन ने जिस तरह के सर्वेलेंस की बात अमेरिकी सरकार के विषय में कही, क्या वैसा ही सर्वेलेंस भारतीय सरकार अपने नागरिकों पर रखती है, बाहर और भीतर?

जवाब-----हालाकि भारतीय सरकार अपने नागरिकों पर कई किस्म के अंकुश लगाती है, उसके पास सर्वेलेंस के उपकरण कम हैं. अमेरिकी सर्वर्स लगभग हर किसी पर नज़र रखे, हर कहीं लगे हैं, जैसा कि स्नोडेन ने कहा मेनलैंड चीन के फ़ोन लाइन्स तक की ख़बर रखते। भारतीय सरकार ऐसे किसी भी सर्वेलेंस को या तो रोक पाने में अक्षम है, या दिलचस्पी नहीं रखती।

7.     प्र.7 -जब आपने विक्रम बुद्धी को रिप्रेजेंट करना शुरू किया, क्या वो जेल में थे? उन्होंने जॉर्ज बुश और उनके परिवार को धमकी क्यों दी?

जवाब----------ये कभी साबित नहीं हुआ कि बुद्धी ने जॉर्ज बुश और उसके परिवार को धमकी दी. वह नाहक ही 3 साल जेल में रहा. उसके पिता पर भी कई किस्म के बेबुनियाद आरोप लगे थे. भारतीय नौ सेना के द्वारा। जब मैं विक्रम की मदद को शिकागो पहुँचा, मेरे होटल के कमरे में FBI का छापा पड़ा. बिल क्लिंटन को आना पड़ा, तब जाकर विक्रम को रिहाई मिली।

8.     प्र.8- वीरप्पा मोईली, मुकेश अम्बानी जैसे कुछ बहुत ताकतवर लोगों के ख़िलाफ़ जो आम आदमी पार्टी की सरकार ने, बतौर मुख्य मंत्री केजरीवाल ने, चार्ज शीटें दायर कीं, उनका इस्तीफे के बाद क्या हुआ? 8 मई 2014 को केन्द्रीय सरकार द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा को ऐसे इल्ज़ामों की तहकीकात के हक़ नहीं। यहाँ से आपकी राजनीती कहाँ जाती है?

जवाब-------ये उन तहकीकात करने वाली बॉडीज़ को नख दन्त विहीन करने का किस्सा है. जब हम सत्ता में आयेंगे तो दुबारा उनके नाखून और दाँत चिपका देंगे। तब तक कुछ नहीं हो सकता, यानि कोर्ट में इस लड़ाई का जीता जाना मुश्किल है. राजनीती तो यही है कि हम एक बहुत नयी पार्टी हैं और जबतक हमें बहुमत नहीं मिलता, इस किस्म के काम कठिन हैं.


----------------पंखुरी सिन्हा

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